एक समय की बात है एक बार दो कौओं में यह सर्त लग गई कि कौन अपने पंजों में एक सामान बजन दबाए सबसे ऊंचा उड़ सकता है।
उनमे से एक कौआ बहुत शातिर था बह अपने पंजों में रुई से भरा थैला लेकर उड़ा तो मुस्करा दिया, क्योंकि दूसरा कौआ अपने पंजों में वैसे ही थैले में नमक भरकर उड़ रहा था।
अब नमक तो रुई से भारी ही होता है|अभी दोनों को उडे़ कुछ ही देर हुई थी कि अचानक वर्षा होने लगी और जैसा होना था वैसा हुआ
दूसरे कौए के थैले का नमक पानी पड़ने से घुलने लगा और सातिर कौए के थैले में भरी रुई पानी के पड़ने से भारी हो गई।
जो पहले भारी था अब हल्का हो गया और जो हल्का था वो भारी हो गया है|
थोड़ी ही देर बाद जो कौआ खुशी-खुशी अपने पंजों में दबाए रुई का थैला लिए उड़ा जा रहा था, अब रुई के बजन से हांफने लगा।
वह नमक का थैला लिए उड़ रहे कौए से होड़ न कर पाया और हार मान ली।
इसीलिए कहते है छल करने बाले कभी नहीं जीत सकते|